रतलाम। बालम ककड़ी खाने से 5 साल के बालक और 8 साल की बालिका की मौत से आहत परिजनों ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। परिजनों ने रतलाम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया। ड्यूटी डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त करने की मांग की। करीब दो घंटे तक कलेक्ट्रेट में जमीन पर बैठ डॉक्टरों के खिलाफ नारेबाजी की। एडीएम और एएसपी ने कलेक्ट्रेट में सीढिय़ों पर ग्रामीणों के बीच बैठकर उन्हें समझाया। तब जाकर ग्रामीण समझे। इसके पहले ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में गायत्री मंत्र और हनुमान चालीसा का पाठ भी किया।
सबसे पहले ग्रामीणों से बात करने एसडीएम अनिल भाना और तहसीलदार ऋषभ ठाकुर आए। लेकिन ग्रामीण कलेक्टर राजेश बाथम को बुलाने की मांग पर अड़ गए। एसडीएम ने 4 से 5 लोग साथ में चल कलेक्टर से मिलवाने को कहा। इस दौरान कलेक्टर ने मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरों को भी बुलाया। अधिकारियों ने ग्रामीणों से कहा कि डॉक्टर भी आए है कुछ ग्रामीण अंदर चलकर बातचीत कर शिकायत कर दर्ज करा दे। लेकिन ग्रामीण नहीं माने, वह कलेक्टर और डॉक्टरों को सबके सामने बुलाने की मांग पर अड़ गए। काफी देर तक जब कलेक्टर नहीं आए तो ग्रामीण जमीन पर बैठ गए।
इस दौरान डॉक्टरों और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। परिजनों और ग्रामीणों का कहना था कि तीन दिन तक जब बच्ची मेडिकल कॉलेज में एडमिट रही तो डॉक्टरों ने क्या इलाज किया? उनके द्वारा इंदौर रेफर करने की बात भी झूठी है। आज हमारे साथ हुआ है कल किसी ओर के साथ न हो। इसलिए हम जांच की मांग कर लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों की सेवा समाप्त करने की मांग कर रहे है। ग्रामीणों ने बालिका के परिवार को मुआवजा दिए जाने की भी मांग की। अधिकारी बार-बार समझाने आए। लेकिन ग्रामीण कलेक्टर को बुलाने की जिद पर अड़े रहे।
थाना प्रभारी ने समझाया तो उठे
कलेक्टर के नहीं आने पर ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट के बाहर महू-नीमच फोरलेन पर जाकर बीच सड़क पर बैठ गए। 5 से 10 मिनट तक सड़क पर बैठे रहे। इस दौरान सड़क के दोनों तरफ वाहन खड़े हो गए। तब स्टेशन रोड थाना प्रभारी राजेंद्र वर्मा ग्रामीणों के बीच गए। बालिका के चाचा रवि पाटीदार और अन्य ग्रामीणों को समझाया। थाना प्रभारी की समझाइश पर सभी ग्रामीण मान गए। थाना प्रभारी ग्रामीणों को लेकर वापस कलेक्ट्रेट में आए। इस कारण ज्यादा देर तक रोड पर जाम नहीं लगा रहा।
बालिका के चाचा रवि पाटीदार ने कहा कि हमारी मांग है कि डॉक्टरों को हमेशा के लिए ड्यूटी से हटाया जाए। दो से ढाई घंटे तक कलेक्टोरेट में बैठे रहे किसी ने बात नहीं सुनी। इसलिए सड़क पर आना पड़ा।
एडीएम और एएसपी सीढिय़ों पर बैठ सुनी बात
ग्रामीणों के वापस कलेक्ट्रेट आने के बाद अपर कलेक्टर आरएस मंडलोई और एएसपी राकेश खाखा आए। कलेक्ट्रेट की सीढिय़ों पर बैठे परिजनों और ग्रामीणों से चर्चा की। एएसपी खाखा ने ग्रामीणों और परिजनों से घटनाक्रम पूछा। उसके बाद उन्हें समझाया और पुलिस द्वारा 7 दिन में जांच का आश्वासन दिया। उसके बाद सभी माने। अधिकारी फिर कलेक्टर राजेश बाथम से मिलाने परिजन और कुछ ग्रामीणों को लेकर गए। ग्रामीणों से कलेक्टर ने चर्चा की। उन्हें आश्वास्त दिया कि जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद ग्रामीण माने।
दोषी पर हो कार्रवाई
बालिका के परिवार के सदस्य और रतलाम जनपद सदस्य सुरेश पाटीदार ने कहा कि हमने दो मांग रखी थी जो डॉक्टर ड्यूटी पर थे, उन्हें संस्पेंड कर नौकरी से हटाया जाए। परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए। कलेक्टर और अधिकारियों ने आश्वासत किया है कि सात दिन में जांच कर रिपोर्ट दी जाएगी। हम यहीं चाहते है कि जो वास्तव में दोषी है उन पर कार्रवाई की जाए।
पुलिस भी करेगी जांच
एएसपी राकेश खाखा ने कहा कि ग्रामीणों ने मेडिकल कॉलेज से रिलेटेड शिकायत की है। कलेक्टर से मुलाकात कराई है। उनके द्वारा अपर कलेक्टर को जांच के लिए कहा है। पुलिस भी जांच कर बच्चों की मृत्यु के कारणों का पता लगाएगी।
यह था पूरा मामला
बता दे कि रतलाम के जड़वासा कलां गांव में रहने वाले मांगीलाल पाटीदार (36) सोमवार शाम सैलाना-धामनोद रोड से बालम ककड़ी खरीदकर लाए थे। मंगलवार शाम मांगीलाल ने पत्नी कविता, बेटी दक्षिता (11), साक्षी (8) और बेटे क्रियांश (5) के साथ मिलकर बालम ककड़ी खाई। बुधवार सुबह करीब 5 बजे सभी को उल्टियां होने लगी तो वे प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने दवा देकर घर लौटा दिया। बुधवार रात 3 बजे कविता, बेटी दक्षिता, साक्षी और बेटे क्रियांश को फिर उल्टियां होने लगीं। परिजन चारों को लेकर मेडिकल अस्पताल पहुंचे। यहां सुबह 4 बजे डॉक्टरों ने क्रियांश को मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद मां कविता को रतलाम के मेडिकल कॉलेज के सामान्य वार्ड में तो दोनों बेटियों को आईसीयू में एडमिट किया था।
छोटी बेटी साक्षी (8) के स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर परिजनों ने मेडिकल कॉलेज से बाहर सोनोग्राफी कराई। रिपोर्ट में किडनी में इंफेशन आया। तुरंत वड़ोदरा ले जाने को कहा। शनिवार को परिजनों वड़ोदरा लेकर जा रहे थे तब दाहोद से 5-7 किमी दूर पहुंचे ही थे कि रास्ते में बच्ची की तबीयत बिगड़ गई। एंबुलेंस स्टाफ ने तुरंत दाहोद के हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉक्टरों ने बालिका को मृत घोषित कर दिया। परिजन रविवार सुबह पीएम कराकर दोपहर में गांव पहुंचे। बच्ची का अंतिम संस्कार किया।
